रामपुर जौहर विश्वविद्यालय के लीज की ज़मीन सीज किए गए दो विभागों की बहाली कराए जाने के संबंध में

महोदय /महोदया सहासम्मन पूर्वक उच्च शैक्षिक समुदाय बहुआयामी राजनीतिक दल के माध्यम से हम, आप सभी सम्मानित पदाधिकरियों का ध्यान शिक्षा, शोध के महत्व को देखते हुए आकर्षित कराना चाहेंगे महोदय निम्न पत्र का माध्यम ज्ञान देना नहीं जब यूनिवर्सिटी ग्रैंड कमीशन UGC के माध्यम से किसी विश्वविद्यालय का अप्रूवल होता है तो संबंधित राज्य सरकार के राज्यपाल के माध्यम से सरकारी गजट में नियम सीमा शर्तों के अनुसार गैजेट पत्र पारित प्रकाशित किया जाता है अगर रामपुर जौहर विश्वविद्यालय के ट्रस्ट में किसी भी प्रकार के नियमों का उल्लंघन हुआ है तो निश्चित तौर पर सरकार में बैठे अधिकारी दंड के पात्र होंगे, जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट की न्यू 2005 सह सम्मान समाजवादी पार्टी मुखिया स्वर्गीय श्रीमान मुलायम सिंह यादव जी के माध्यम से रखी गई थी परंतु भारत में शिक्षा के महत्व को समझते हुए सीधे ही एक विश्वविद्यालय को लगातर टारगेट कर देना शिक्षा प्रणाली और सरकार की मानसिकता पर प्रश्न खड़ा करती है प्राप्त जानकारी के अनुसार जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट को 1995 में ही पंजीकृत कर लिया गया था जौहर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग की तरफ से भी मान्यता प्राप्त है 41181 वर्ग फुट जमीन 99 वर्षों के लिए लीज पर दी गई थी जिसमें यूपी सरकार के द्वारा यह कहा गया कि 13.08 एकड़ जमीन शत्रु वा नदी की संपत्ति है विश्वविद्यालय परिसर के अंदर बने दो भवन 12.50 एकड़ मैं बने परिसर को सीज कर बुलडोजर चलाकर तोड़ने खाली कराए जाने की बात कही जा रही है यहां पर ध्यान देना की बात यह है कि ट्रस्ट संचालक श्रीमान आजम कहां पर कुल 84 मुकदमे दर्ज किए गए हैं जिनमें से 26 मुकदमे सिर्फ जौहर विश्वविद्यालय से संबंधित थे जो कि अधिकतर मुकदमे विरोधी एक ही व्यक्ति आकाश सक्सेना व उनके ही किसान साथियों के समर्थन द्वारा दर्ज कराए गए थे प्राप्त जानकारी के अनुसार जो जमीन लीज की सीज की जा रही है उस पर पहले से ही सामाजिक शैक्षिक कार्य रामपुर पब्लिक स्कूल का जनहित में संचालन हो रहा है जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट पर लगाए गए आरोप की इसमें 106.56 करोड़ सरकारी धन का इस्तेमाल किया गया है और विश्वविद्यालय की कीमत 494 करोड़ की है विश्वविद्यालय का गेस्ट हाउस और सपोर्ट सार्वजनिक नहीं किया जबकि ट्रस्ट के माध्यम से इन आरोपों का खंडन किया जा रहा है उत्तर प्रदेश सरकार के के अंतर्गत विभाग शिक्षा, विभाग जल विभाग, लोक निर्माण विभाग लेबर सेस विभाग आदि ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं जिसमें से 36 लाख 37 हजार लेबर सेस जमा करना शेष बताया गया था जिसको भी ट्रस्ट के माध्यम से पूरा किया गया है अब ट्रस्ट का आरोप है कि वह अपनी याचिका हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहती है पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पुनः बार बार वापस यूपी हाई कोर्ट भेज दिया जाता है जो कि राज्य सरकार के अंतर्गत आता है अब जौहर ट्रस्ट का आरोप है मुझे अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय तक नहीं दिया गया है ऐसे में अनेक विरोधाभासी प्रश्न समाज को भ्रमित कर रहे हैं ज्ञापन देने का मकसद यह है कि वर्तमान ज़ौहर विश्वविद्यालय में 30 से अधिक प्रकार के विषयों का संचालन हो रहा है जिसमें सभी धर्म जातियों के हजारों छात्र, छात्राओं उच्च शिक्षा, शोध ग्रहण कर रहे हैं और विश्वविद्यालय परिसर में बनाए गए स्पोर्ट, गेस्ट हाउस सभी के लिए सार्वजनिक हैं ऐसे में सीधे तौर पर विश्वविद्यालय को टारगेट करना जनता और छात्रों में आक्रोश राजनीति का षड्यंत्र का एहसास दिलाता है अतः हम सभी पदाधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार से मांग निवेदन करते हैं कि ज़ौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट की सीज की गई संपत्ति को समाज हित में हजारों छात्र के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा शोध के लिए बहाल कर दी जाए नोट, ज़ौहर ट्रस्ट के संबंध में सरकार अपने नियमानुसार टर्म कंडीशंस सीमा शर्तों को लागू कर सकती है